Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.7 ||

त्रयमन्तरङ्गं पूर्वेभ्यः 


पदच्छेद:त्रयम्, अन्तरङ्गंम् , पूर्वेभ्य: ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • पूर्वेभ्य: -पूर्व के सूत्रों में कहे गये यम-नियम-आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार की अपेक्षा
  • त्रयम् -ये तीन अर्थात धारणा, ध्यान व समाधि
  • अन्तरङ्गंम्-सम्प्रज्ञात समाधि के निकटतम साधन हैं ।

English

  • trayam - these three
  • antar - internal
  • anggan - limbs
  • poorvebhyah - preceding.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: साधन पाद में अष्टांग योग के प्रकरण में कहे गए यम, नियम, आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार की अपेक्षा ये तीन धारणा, ध्यान व समाधि (जिनकी संयम परिभाषा) सम्प्रज्ञात समाधि के निकटतम साधन हैं ।

Sanskrit: 

English: These three (dharna, dhyana and samadhi) are more internal practices than these that precede (i.e. yama, niyama, asana, pranayama and pratyahar).

French: 

German: Denn im Vergleich zu den erstgenannten ( fünf Gliedern des Yoga) sind diese innere subtile Glieder.

Audio
Yog Sutra 3.7

Explanation/Sutr Vyakhya

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  • German
  • Yog Kavya

साधन और साध्य ये दो शब्द योग में आपको मिलेंगे | जिससे साध्य को प्राप्त किया जाता है उसे साधन कहते हैं | जैसे हरिद्वार से दिल्ली जाना हो तो इसमें दिल्ली पहुंचना साध्य है और हरिद्वार से दिल्ली जाने के लिए बस या कार से जाना ये साधन हो जायेगा | इसी प्रकार साधक द्वारा सम्प्रज्ञात एवं असम्प्रज्ञात समाधि को पाना ये साध्य है और इसको प्राप्त करने के क्रमबद्ध दो साधन हैं |

योग सिद्धि के दो साधन बतलाये गए हैं:

बहिरंग साधन

अन्तरंग साधन

साधनपाद में योग के जो 5 अंग ( यम-नियम-आसन-प्राणायाम-प्रत्याहार) कहे गए हैं उन्हें महर्षि बहिरंग साधन के नाम से परिभाषित करते हैं, वहीँ धारणा-ध्यान और समाधि को योग के अन्तरंग साधन के रूप कहते हैं |

सम्प्रज्ञात समाधि के लिए यम-नियम-आसन-प्राणायाम और प्रत्याहार ये अन्तरंग साधन हैं लेकिन असम्प्रज्ञात समाधि के लिए ये साधन बहिरंग हो जाते हैं और धारणा-ध्यान समाधि अन्तरंग साधन बन जाते हैं |

 

बहिरंग साधन का अर्थ होता है जो दूर से साध्य को प्राप्त कराने में सहायक होते हैं और अन्तरंग साधन उन्हें कहते हैं को एकदम पास से साध्य को प्राप्त कराने के लिए सहायक होते हैं |

वैसे तो किसी भी कार्य की सफलता में अनेक कारण होते हैं लेकिन कुछ उपाय ऐसे होते हैं जिनके अभ्यास के बिना सफलता मिल ही नहीं सकती हैं इसी भेद से कुछ उपाय मुख्य हो जाते हैं और कुछ गौण लेकिन आवश्यक |

अतः उपरोक्त सूत्र में समझ की दृष्टि से महर्षि ने धारणा-ध्यान और समाधि को यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार की दृष्टि से सम्प्रज्ञात समाधि के लिए अन्तरंग साधन कहा है |

coming soon..
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सूत्र: त्रयमन्तरङ्गं पूर्वेभ्यः

 

अष्टांग योग के प्रथम पांच जो साधन

यम नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार और आसन

इनकी अपेक्षा से अंतरंग साधन कहलाते

धारणा, ध्यान, समाधि जिन्हें संयम समझाते

संप्रज्ञात समाधि के ये निकटतम साधन

भीतर की यात्रा पर ले जाते साधन

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