Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.14 ||

शान्तोदिताव्यपदेश्यधर्मानुपाती धर्मी 


पदच्छेद: शान्त-उदिता-अव्यपदेश्य-धर्मानुपाती, धर्मी ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

    • शान्त-अतीत या भूतकाल में
    • उदिता-वर्तमान काल में
    • अव्यपदेश्य -भविष्यत काल में
    • धर्मानुपाती- धर्मों में विद्यमान रहने वाला पदार्थ
    • धर्मी- धर्मी होता है

English

  • shant - past
  • udita - present
  • avyapadeshya - future
  • dharma - characteristics
  • anupati - continues to exist
  • dharmi - substratum.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: किसी भी पदार्थ के अतीत, वर्तमान व भविष्यत धर्मों में जो एक तत्त्व सदा विद्यमान रहता है वह धर्मी है ।

Sanskrit: 

English: That which is acted upon by transformations, either past, present or yet to be manifested is the substratum (or the object characterised).

French: 

German: Die Verwandlungen, die schon in einem Objekt stattgefunden haben, die Verwandlungen, die noch entstehen können, und die Verwandlungen in der momentanen Erscheinung leiten sich alle von den wesentlichen Eigenschaften ab, die im Objekt enthalten sind.

Audio
Yog Sutra 3.14

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
  • English
  • Sanskrit
  • French
  • German
  • Yog Kavya

पूर्वोक्त  सूत्र में धर्म शब्द आया है जिसका अर्थ महर्षि इस सूत्र के माध्यम से समझा रहे हैं | धर्म को हमने गुण इस अर्थ  था अब शास्त्रीय परिभाषा करते हुए महर्षि कह रहे हैं कि किसी भी पदार्थ या तत्त्व के जो काल या अवस्थानुसार परिवर्तन होते हैं उन परिवर्तनों के बाद भी जो सभी काल (भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल) में अनुगत रहता है अर्थात एक जैसा बना रहता है या सदैव विद्यमान  रहता है, भले ही धर्म, लक्षण और अवस्था अनुसार बड़े परिवर्तन हो जाएँ, उसे शास्त्र के अनुसार धर्मी, इस  इस नाम से परिभाषित किया गया है | यह मूलतः  एक पारिभाषिक सूत्र है |

यहाँ  शांत शब्द से भूतकाल को, उदिता से वर्तमान काल को और अव्यपदेश्य से भविष्य काल को कहा गया है |

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: शान्तोदिताव्यपदेश्यधर्मानुपाती धर्मी

 

भूत, भविष्य और वर्तमान काल में

रहता है अनुगत जो हर हाल में

उसे वस्तु- पदार्थ का धर्मी कहा है

जो वस्तु में वर्तमान हर हाल रहा है

परिभाषिक सूत्र हम इसे कह सकते

धर्म और धर्मी अलग नहीं रह सकते

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