योग प्रश्नावली

प्रश्न: १- योगदर्शन रचयिता कौन हैं? उत्तर: योगदर्शन को महर्षि पतंजलि ने लिखा है |   प्रश्न: २- योगदर्शन में कुल कितने सूत्र हैं? उत्तर: महर्षि पतंजलि रचित योगदर्शन में कुल मिलाकर 195 सूत्र हैं |   प्रश्न: ३- महर्षि पतंजलि रचित विश्वविख्यात योगदर्शन में कितने अध्याय या पाद हैं? उत्तर: योगदर्शन में कुल चार पाद (४) हैं |   प्रश्न: ४- योगदर्शन में जो चार पाद हैं उनके नाम क्या हैं? उत्तर: योगदर्शन के चार पादों के नाम इस प्रकार हैं: १- समाधिपाद २.साधनपाद ३.विभूतिपाद ४. कैवल्यपाद   प्रश्न: योग दर्शन के अनुसार योग की परिभाषा क्या है? उत्तर: योग दर्शन के अनुसार, चित्त की वृत्तियों का रुक जाना योग कहलाता है।   प्रश्न: वृत्ति निरोध को कैसे समझें ? उत्तर: चित्त या मन में उठने वाले विचारों को जब साधना से रोक लेते हैं तो इसे ही वृत्ति निरोध कहते हैं।   प्रश्न: जब साधक योग करके अपनी वृत्तियों का निरोध कर लेता है तब क्या होता है? उत्तर: जब साधक या योगी, योग साधना से अपने चित्त या मन में उठने वाले विचारों या वृत्तियों को रोक लेता है तब वह अपने मूल स्वरूप में स्थित हो जाता है अर्थात अपने शुद्ध स्वरूप को जान लेता है।   प्रश्न:जब तक योगी के द्वारा वृत्तियों का पूर्ण निरोध नहीं होता है तब क्या होता है? उत्तर: जिनका योग या तो सिद्ध नहीं हुआ या जिन्होंने कभी योग नहीं किया, सामान्य जीवन ही जी रहे हैं तो उनका चित्त या मन उनके विचारों के अनुरूप ही रहता है अर्थात जिसके जैसे विचार चलते हैं उसी के अनुरूप उनका जीवन चलता है। बुरे विचारों के साथ बुरा चित्त बनेगा और अच्छे विचारों के साथ अच्छा चित्त बनेगा।   प्रश्न: ये वृत्तियाँ कितने प्रकार की कही गई हैं? उत्तर: महर्षि पतंजलि ने वृत्तियों के पांच प्रकार बताएं हैं। प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, स्मृति और निद्रा।   प्रश्न: वृत्ति निरोध कैसे करें ? उत्तर: अभ्यास और वैराग्य से वृत्तियों का निरोध होता है।   प्रश्न: वृत्ति निरोध करने के दो बड़े साधन कौन से हैं? उत्तर: वृत्ति अर्थात विचारों का निरोध अभ्यास और वैराग्य से कर सकते हैं।   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार अभ्यास कैसा होना चाहिए? उत्तर: महर्षि पतंजलि अभ्यास की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि लंबे समय तक, निरंरता,श्रद्धा, उत्साह एवं उमंग के साथ किया गया अभ्यास ही पक्का रहता है।   प्रश्न: योगसूत्र के अनुसार वैराग्य की परिभाषा क्या है? उत्तर:   प्रश्न: सम्प्रज्ञात समाधि क्या है? उत्तर:   प्रश्न: भव प्रत्यय क्या है? उत्तर:   प्रश्न: किसका योग शीघ्रता से सिद्ध होता है? उत्तर:   प्रश्न:योग दर्शन की दृष्टि से ईश्वर क्या है और कैसा है? उत्तर:   प्रश्न: समय की दृष्टि से परे सबका एक गुरु कौन है? उत्तर: काल या समय की दृष्टि से सब गुरुओं का भी गुरु वह एक ईश्वर या परमात्मा है।   प्रश्न: ईश्वर का नाम क्या है? उत्तर: ईश्वर का नाम प्रणव है।   प्रश्न: ईश्वर का नाम किस प्रकार लेना चाहिए? उत्तर: ईश्वर के नाम का जप करते समय, उसके नाम के अर्थ की भावना करनी चाहिए। उसके नाम में अंतर्निहित गुणों का स्मरण करते हुए नाम जप करना चाहिए।   प्रश्न: योगदर्शन में अन्तराय से क्या आशय है? उत्तर: अंतराय शब्द से अर्थ योग साधना के बीच आने वाली बाधाओं से है। अर्थात अंतराय का शाब्दिक अर्थ बाधा होता है।   प्रश्न: योग में कह गए अन्तराय कितने प्रकार के हैं और उनके नाम क्या हैं ? उत्तर:   प्रश्न: चित्त अथवा मन को प्रसन्न रखने के उपाय कौन से हैं ? उत्तर: महर्षि प्रणीत योग दर्शन में चित्त या मन को प्रसन्न रखने के लिए मुख्य चार उपाय बताएं हैं। 1. मैत्री 2. मुदिता 3. करुणा 4. उपेक्षा   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार मैत्री को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार करुणा को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार मुदिता को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार उपेक्षा को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: सबीज  समाधि किसे कहते हैं ? उत्तर:   प्रश्न: निर्बीज समाधि किसे कहते हैं ? उत्तर:   प्रश्न: अध्यात्म प्रसाद से महर्षि पतंजलि का क्या आशय है? उत्तर:   प्रश्न: ऋतंभरा प्रज्ञा क्या होती है? उत्तर: प्रश्न: क्रिया योग क्या है? उत्तर: तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्राणिधान के सम्मिलित अभ्यास को क्रिया योग के नाम से जाना जाता है।   प्रश्न: तप किसे कहते हैं? उत्तर: सुख, दुख, लाभ, हानि, मान, अपमान, सर्दी, गर्मी, अनुकूलता, प्रतिकूलता, हार जीत आदि द्वंद्वों को सहन करने का नाम तप है।    प्रश्न: स्वाध्याय किसे कहते हैं? उत्तर: सद्ग्रंथो का अध्ययन, गुरु वचनों के ऊपर चिंतन करना और इनपर चलना, अपने विषय में उत्थान के लिए मनन करना, यह सबकुछ स्वाध्याय है।   प्रश्न: ईश्वर प्रणिधान किसे कहते हैं ? उत्तर: मन, वचन और कर्म से जो कुछ भी करना उसे फल की इच्छा से रहित होकर करते हुए भगवान को समर्पित करना ईश्वर प्राणिधान कहलाता है। ईश्वर की पूर्ण शरणागति में अपने कर्तव्य कर्म को करना भी ईश्वर प्राणिधान कहलाता है।   प्रश्न: क्लेश किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं ? उत्तर:    प्रश्न: अविद्या नमक क्लेश क्या है ? उत्तर:   प्रश्न: अस्मिता क्लेश क्या है? उत्तर:   प्रश्न: राग क्लेश क्या है? उत्तर:   प्रश्न: द्वेष क्लेश  क्या है? उत्तर:   प्रश्न: अभिनिवेश क्लेश क्या है ? उत्तर:   प्रश्न: क्लेशों को किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है? उत्तर:   प्रश्न: क्लेश उत्पन्न होने के क्या कारण हैं ? उत्तर:   प्रश्न: क्लेशों का क्या फल प्राप्त होता है ? उत्तर:   प्रश्न: दुख कितने प्रकार के होते हैं ? विवेकी लोगों का दुख के प्रति कैसा दृष्टिकोण होता है? उत्तर:   प्रश्न: कौन से दुख त्यागने योग्य हैं ? उत्तर:   प्रश्न: दुखों का मुख्य कारण क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योग दर्शन की परिभाषा के अनुसार दृश्य क्या है? उत्तर:   प्रश्न: द्रष्टा का स्वरूप कैसा होता है? उत्तर:   प्रश्न: दृश्य अर्थात प्रकृति किसके प्रयोजन के लिए है? उत्तर:   प्रश्न: योग दर्शन के अनुसार संयोग क्या है? उत्तर:   प्रश्न: संयोग का कारण क्या है? उत्तर:   प्रश्न: हान क्या है? उत्तर:   प्रश्न:विवेकख्याति किसे कहते हैं ? उत्तर:   प्रश्न: अष्टांग (योग के आठ अंग) उत्तर:   प्रश्न: यम किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर:   प्रश्न: नियम किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार अहिंसा क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार सत्य क्या है?उत्तर: उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार अस्तेय  क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार ब्रह्मचर्य  क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार अपरिग्रह  क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार शौच क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार संतोष क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार तप क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार स्वाध्याय क्या है? उत्तर:   प्रश्न: योगदर्शन के अनुसार ईश्वर प्रणिधान क्या है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  अहिंसा प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  सत्य प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न:साधक के जीवन में  अस्तेय प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  अपरिग्रह प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  शौच भावना प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  संतोष प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  तप  प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  स्वाध्याय  की प्रतिष्ठा होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: साधक के जीवन में  ईश्वर प्रणिधान प्रतिष्ठित होने पर क्या लाभ मिलता है? उत्तर:   प्रश्न: धारणा  किसे कहते हैं? उत्तर:   प्रश्न: ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर:   प्रश्न: समाधि की क्या परिभाषा है?  महर्षि पतंजलि ने संयम किसे कहा है ? उत्तर:   प्रश्न: सम्प्रज्ञात समाधि की दृष्टि से बहिरंग  और अंतरंग साधन कौन  से हैं? उत्तर:   प्रश्न: असम्प्रज्ञात समाधि की दृष्टि से अंतरंग और बहिरंग साधन क्या हैं? उत्तर:   प्रश्न: व्युत्थान संस्कार क्या होते हैं? उत्तर:   प्रश्न: निरोध संस्कार क्या होते हैं? उत्तर:   प्रश्न: प्रशांत वाहिका स्थिति कैसी होती है? उत्तर:   प्रश्न: चित्त की सर्वार्थता स्थिति कैसी होती है ? उत्तर:   प्रश्न: समाधि परिणाम को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: चित्त के एकाग्रता परिणाम को कैसे समझें ? उत्तर:   प्रश्न: धर्मी किसे कहते हैं ? उत्तर:   प्रश्न: परिणामत्रय किसे कहा गया है ? उत्तर:   प्रश्न: योग दर्शन में वर्णित विभूतियों के नाम क्या-क्या हैं ? उत्तर:  

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