About Website : www.patanjaliyogasutra.in

इसके बिना न तो भारतीयता स्वयं में भारतीयता है न ही मानव का शुद्धतम स्वरूप अस्तित्व में आ सकता है। आज पूरे विश्व में योग के प्रचलन बढ़ने के बाद उसे विकृत करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। अलग अलग नाम देकर उसकी परंपरा को गलत तरीक़े से परोसा जा रहा है।

ऐसे समय में आवश्यकता थी कि योगदर्शन को ग्रंथों से निकालकर इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया को सैद्धान्तिक रूप से परिचय कराना ताकि कोई भी मानव योगदर्शन को भी इंटरनेट पर किसी भी रूप में विकृत न कर सके और पतंजलि योग सूत्र नाम से कोई अन्य बाहरी डोमेन न ले सके।

इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत हम योगदर्शन को पूरी तरह इंटरनेट पर प्रस्तुत करेंगे जिसके माध्यम से पूरे विश्व के आत्म अन्वेषक योगदर्शन का घर बैठे स्वाध्याय कर सकने में समर्थ हो सकेंगे।

प्रत्येक सूत्र के सूत्रार्थ के साथ उसे कैसे उच्चारित करें इसके लिये शुद्ध उच्चारण के साथ सूत्र का ऑडियो भी हम उपलब्ध करा रहे हैं । साथ ही सूत्र के अर्थ को सामान्य जन भी समझ सकें उसके लिए सूत्र की व्याख्या भी इसमें कर रहे हैं जो कि लिखित और ऑडियो दोनों फॉरमेट में सब पाठकों को उपलब्ध रहेगी।

इसके साथ ही, पूरे विश्व में आंग्ल भाषा पढ़ने वाले बहुत सारे लोग हैं अतः प्रत्येक सूत्र का संक्षिप्त सूत्रार्थ आंग्ल भाषा में उपलब्ध रहेगा और सरल व्याख्या का अनुवाद भी आपको प्रत्येक सूत्र के साथ मिलेगा।

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि यह एक साझा कार्यक्रम रहेगा, इसमें हम उस प्रत्येक की सहायता लेंगे जो इस कार्य के बढ़ाने में हमारी दृष्टि से सहायक होगा। जर्मनी में योग को लेकर एक विशेष आकर्षण बहुत पहले से रहा है, वस्तुतः केवल योग के लिए नहीं अपितु पूरे भारतीय वैदिक शास्त्रों को लेकर अतः जर्मन भाषा में अनुवाद की व्यवस्था भी संग संग हो रही है।

प्रत्येक सूत्र के साथ हम व्यास भाष्य को भी इसमें सम्मिलित करने का प्रयास करेंगे जिससे कि योगदर्शन पर हमारा यह प्रयास पूर्णता की ओर अग्रसर हो और कोई भी, कहीं से भी योग के संबंध में इंटरनेट पर ही जानकारी ले सके चाहे वे प्रारंभिक योग विषय के विद्यार्थी हों या दार्शनिक विवेचना करने वाले शोधार्थी।

इसके साथ ही, प्रत्येक सूत्र का एक काव्यमय भाव भी हम संग संग दे रहे हैं जिससे की काव्यात्मक भावाभिव्यक्ति योग विषय में प्रकट हो सके।

Yoga is our fundamental culture and nature. Without it neither Indianness nor the purest form of man can exist. Today there is a sickening effort to destroy the increased craze for Yoga. It is being presented in different forms under different headings.

Revered Maharaj Shree has not only brought Yoga out of the caves and presented it to common people with ease but has made people across the globe practice it. Today Indians along with people from western countries are trying to harm the intact tradition of Yoga.

In times like this the need of the hour is to introduce Yoga to the entire world through internet, so that nobody can harm Yoga Darshan in any form and no outsider acquires an the domain name of Patanjali Sutra.

Under this project we will present Yoga Darshan in entirety on Internet so that all intro-specters across the globe are able to do self- study of Yoga Darshan.

We are committed to provide our readers with a simplified written explanation of each sutra along with an audio of its rendition in correct pronunciation. To help common users understand its meaning, a simplified version of its written explanation as well as an audio will also be provided.

For the convenience of a large number of Anglo Indians, a simple translation and explanation of each Sutra in Anglo language will also be made available.

As mentioned earlier it is a collaborative attempt by all those who will contribute in the success of this programme. Considering Germans have a special attraction for Yoga since time immemorial, it is our endeavour to get not only Yoga but the entire Indian Vedic Shastra translated into German as well.

With each narrative we will try to include Vyas language in it so that our effort towards Yoga Darshan moves a step closer to completion and anyone from anywhere is able to access information related to Yoga on internet whether they are learners of initial Yoga or philosophical debaters and researchers on Yoga.

Alongside, an effort is being made to express each Sutra in verse form so that Yoga finds expression in poetry too.

Swami Vidhey Dev Ji

उत्तराखंड की गोद में बसा एक छोटा सा गांव बजीना जो कि उस समय उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था। छोटे से गांव से 12 वीं की पढ़ाई कर लेने के बाद एक दिन पिता को बिना बताए नवीन दिल्ली आ गए जहां उनके भाई नौकरी किया करते थे। यह वर्ष 2005 की बात थी। पहाड़ और गाँव में जिसका पूरा बचपन बीता हो, शहर की आपाधापी नवीन को समझ नहीं आ रही थी लेकिन उस समय उसे धुन सवार थी कि परिवार को दयनीय आर्थिक स्थिति से उबारने के लिए मेहनत करनी है। वर्ष 2007 में उनकी माताजी कर्क रोग से पीड़ित हो गई और अनेक चिकित्सा संस्थाओं में इलाज करने के बाद भी वे ठीक नहीं हो पाई तब उन्हें गांव में ले जाया गया जहां कुछ महीनों के बाद उनका शरीर पूरा हो गया और वे परमात्मा के परम धाम को चली गई। उस समय नवीन दिल्ली में नौकरी कर रहे थे, जैसे ही उन्हें सूचना मिली उन्होंने घर जाने का निश्चय किया लेकिन विधाता को शायद नवीन को और अधिक परिपक्व करना था, उसे कुछ और ही मंजूर था। ये घटना जब भी वे स्मरण करते हैं तो एक अलग दार्शनिक मनोभाव और गहराई, रहस्य उनके चेहरे से झलक जाता है। नौकरी और पढ़ाई साथ साथ करते हुए 7 साल बीत गए। इस सात सालों में नवीन ने कार्य के अतिरिक्त कुछ सोचा ही नहीं।टीवी के माध्यम से एक बार उन्होंने परम पूज्य स्वामी रामदेव जी को सुना जिनके क्रांतिकारी और आध्यात्मिक ऊर्जापूर्ण व्यक्तव्यों ने भीतर तक झझकोर दिया। पहली बार किसी ने युवा नवीन के अंतर्मन को छुआ था।

Monika Ji

एक विनम्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली मोनिका जी ने अपने करियर में असाधारण उपलब्धि हासिल की है। 1976 में जन्मी, उसने

Mrs. Neelam Tahlan

Mrs. Neelam Tahlan is currently the Head of English Faculty at the prestigious The Lawrence School, Sanawar, Himachal Pradesh.