Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.15 ||

क्रमान्यत्वं परिणामान्यत्वे हेतुः 


पदच्छेद: क्रम-अन्यत्वं, परिणाम-अन्यत्वे, हेतु: ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • क्रम-क्रम का
  • अन्यत्वम् -अन्तर या भेद
  • परिणाम-परिणाम के
  • अन्यत्वे-भिन्नता या भेद होने में
  • हेतु-कारण है ।

English

  • krama - sequence
  • anyatvam - difference
  • parinam - transition, of change
  • anyatve - difference
  • hetuh - the cause.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: एक परिणाम का किसी अन्य परिणाम के पश्चात होना "क्रम" है । क्रम का भिन्न होना परिणाम के भिन्न भिन्न होने में कारण है ।

Sanskrit: 

English: Change of sequence (of characteristics ) is the cause of manifold evolution.

French:

German: Die Ursache für die Unterschiedlichkeit der Verwandlungen ist die immer andere Sequenz der Schritte, die zur Verwandlung führt.

Audio

Yog Sutra 3.15

Explanation/Sutr Vyakhya

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  • Yog Kavya

धर्मी की परिभाषा करने के बाद प्रश्न उठता है कि प्रत्येक पदार्थ में सब कालों, समय में विद्यमान रहने वाला जो धर्मी है क्या उसके फल या परिणाम में कोई अन्य तत्त्व कारण बनता है ?

शिष्यों के इस प्रकार प्रश्न करने पर महर्षि उक्त सूत्र में इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते कि धर्मी के परिणाम में पदार्थ के क्रम में अंतर आ जाने से अन्तर आ जाता है | यहाँ क्रम शब्द से पदार्थ की अवस्था को समझना चाहिए |

जैसे जैसे पदार्थ की अवस्था बदलेगी उसी के अनुसार परिणाम भी बदलता जायेगा |

इसको एक उदहारण से समझते हैं: एक मिट्टी का ढेला है जो ठोस  है, अब इसे बारीक पीस दें तो मिट्टी रूपी धर्मी का परिणाम मिट्टी के चूरे  के रूप में परिवर्तित हो गया लेकिन यदि मिट्टी के ठोस ढेले को सीधे पानी में भिगोकर रखते तो गीली मिट्टी बन जाती जिसे कीचड़ भी कह सकते हैं इस प्रकार अवस्था (क्रम) के अनुसार धर्मी के परिणाम में अंतर आ जाता है |

अब क्रम के अंतर से धर्मी के परिणाम में अंतर आ जाता है इसे योग साधना की  दृष्टि से कैसे घटाकर देख सकते हैं, उस पर विचार करते हैं- हमारा शरीर, मन, बुद्धि, ह्रदय, आत्मा यह सबकुछ भी एक पदार्थ की तरह है जिसमें समय की दृष्टि से अलग अलग परिणाम या अच्छे बुरे परिवर्तन आते रहते हैं ये किस प्रकार योग साधनों का आलम्बन लेकर एवं  घटित होकर हमारी साधना  बढ़ाते हैं इसको समझेंगे और साथ जो लोग योग साधना का आलम्बन न लेकर भोग साधनों में डूबे रहते हैं उनके परिणाम कैसे घटित होते हैं उसे भी समझेंगे |

योगासनों,आहार एवं व्यायाम में क्रम के अनुसार अच्छे परिणाम आएंगे , जैसे पहले केवल शुद्ध आहार का सेवन करेंगे तो शरीर लचीला बनना शुरू कर देगा और जब आहार के साथ साथ योगासन भी करते रहेंगे तो लचीले के साथ साथ गठीला भी शरीर परिणाम को प्राप्त होता रहेगा |

इसी प्रकार ध्यान, भजन करने से मन,बुद्धि, ह्रदय और आत्मा में भी अनुसार परिणाम आने शुरू हो जायेंगे तो इसलिए यहाँ साधनों के क्रम के अनुसार परिणाम बदलता जाएगा |

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: क्रमान्यत्वं परिणामान्यत्वे हेतुः

 

जब अन्तर क्रम का होता है

परिणाम में अंतर का बीज बोता है

यदि कर्मों के क्रम व्यवस्थित होंगे

तभी अच्छे परिणाम उपस्थित होंगे

क्रम में भ्रम की यदि स्थिति आयेगी

कुछ सार्थक न बन पाने की स्थिति आयेगी

इसलिए क्रम की महत्ता बड़ी भारी है

क्रम से साधन करना जिम्मेदारी है

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