Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.32 ||

मूर्धज्योतिषि सिद्धदर्शनम् 


पदच्छेद: मूर्ध-ज्योतिषि , सिद्ध-दर्शनम् ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • मूर्ध -मूर्धा या कपाल में स्थित
  • ज्योतिषि -ज्योति अथवा प्रकाश में संयम करने से
  • सिद्ध-सिद्ध एवं महान योगी जनों के
  • दर्शनम् -दर्शन या साक्षात्कार करने की क्षमता आ जाती है

English

  • moordha - on the coronal
  • jyotishi - light
  • siddha - siddhas, perfected ones
  • darshanam - seen.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: कपाल प्रदेश में स्थित मूर्ध ज्योति के प्रकाश में संयम करने से सिद्ध योगियों को देखने या जानने की योग्यता आती है ।

Sanskrit:

English: By making samyama on the coronal light, siddhas can be seen.

French:

German: Samyama (Versenkung) in das Licht im höchsten Punkt im Körper führt uns zu den Erkenntnissen der erleuchteten Wesen

Audio

Yog Sutra 3.32
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Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
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  • German
  • Yog Kavya

मूर्धज्योतिषि सिद्धदर्शनम् ॥ ३.३२॥

हमारे माथे के ऊपर शिर की तरफ एक मूर्धा ज्योति होती है जिसपर साधक जब धारणा-ध्यान और समाधि का सम्यक अभ्यास करता है तो उसे इस लोक सहित सभी लोकों में मुक्त विचरण कर रहे सिद्ध पुरुषों (आत्माओं) के दर्शन होने लग जाते हैं अर्थात उनके साथ संपर्क जुड़ने लग जाता है |

जब विभूतिपाद में वर्णित शक्तिओं के बारे में चिंतन करते हुए हम निर्दिष्ट स्थान पर चिंतन करते हुए संयम करते हैं तो उसका प्रभाव अधिक पड़ता है |

इस विभूति की प्राप्ति हेतु  साधक जब प्रारंभिक अभ्यास करता है तो उसे इसी लोक में रह रहे जीवित अच्छे साधकों की सन्निधि मिलनी प्रारम्भ होती है और फिर धीरे धीरे संगति के प्रभाव से और साधना के प्रभाव से सिद्ध आत्माएं भी  साक्षात्कार का विषय बनने लग जाती है |

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