विवेकज्ञान प्राप्त होने के बाद योगी को क्या लाभ मिलता है इस विषय में चर्चा हो रही है।
जाति, लक्षण और स्थान की दृष्टि से जब किसी वस्तु या पदार्थ में जब भेद करना मुश्किल होता है तब विवेकज्ञान के आधार पर ही इनके बीच का अंतर पता चलता है और यह शक्ति केवल विवेकज्ञान प्राप्त योगी को ही हो सकता है।
जाति: एक ही प्रकार के पदार्थों या वस्तुओं के समूह को जाति कह दिया जाता है।
लक्षण: जाति में कुछ चिन्ह या पहचान के बिंदु होते हैं जिनसे अंतर पता चलता है कि यह कौन सी वस्तु है, पदार्थ है। इन चिन्हों या क्रिया कलापों को लक्षण कहा जाता है।
स्थान: स्थान का अर्थ होता है अलग अलग जगह। कोई पदार्थ, वस्तु या व्यक्ति अलग अलग स्थानों पर रूप, रंग, क्रिया कलाप और व्यवहार की दृष्टि से अलग दिखाई देता है। इसलिए उसके विषय में ज्ञान करने में स्थान की भी भूमिका होती है
अतः जाति, लक्षण और स्थान की दृष्टि से जो किसी व्यक्ति, वस्तु और पदार्थ में भेद या अंतर पता करना मुश्किल होता है तो विवेकज्ञान से यह अंतर आसानी से पता चल जाता है।
यही विवेकज्ञान का फल है।
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