Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.13 ||

एतेन भूतेन्द्रियेषु धर्मलक्षणावस्थापरिणामा व्याख्याताः 


पदच्छेद: एतेन, भूत-इन्द्रियेषु , धर्म-लक्षण-अवस्था-परिणामा, व्याख्याताः ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • एतेन- चित्त के परिणामों से
  • भूत-पांच महाभूतों एवं
  • इन्द्रियेषु-इन्द्रियों अर्थात आँख, नाक, कान आदि में
  • धर्मलक्षणावस्थापरिणामा-धर्म परिणाम, लक्षण परिणाम, व अवस्था परिणाम
  • व्याख्याता-समझने चाहिए।

English

  • etena - by these
  • bhoot - elements
  • endriyeshu - mental organs of actions and senses
  • dharma - essential attribute
  • lakshan - temporal character
  • avastha - state of old or new
  • parinama - mutative effect
  • vyakhyatah - explained in details.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: जिस प्रकार पूर्व के सूत्रों में चित्त के जो निरोध, समाधि व एकाग्रता परिणाम महर्षि द्वारा कहे गए हैं, उसी प्रकार सभी पंच महाभूतों व इन्द्रियों में होने वाले धर्म परिणाम, लक्षण परिणाम व अवस्था परिणाम भी समझे जाने चाहिए।

Sanskrit:

English: By this is explained the threefold transformation of form, time and state - in the bhutas and the indriyas.

French: 

German: Ähnlich wie für das Citta ( das meinende Selbst) gibt es auch auf der Ebene der Materie und der Sinne ( und damit auch bei den Themen) drei Arten von Wandel: Dharma-Parināma, die grundlegende Veränderung wesentlicher Merkmale, Laksana-Parināma, die Veränderung äußerer Merkmale, und Avasthā-Parināma, die zeitbedingte Veränderung.

Audio

Yog Sutra 3.13

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
  • English
  • Sanskrit
  • French
  • German
  • Yog Kavya

पूर्व के सूत्रों में जिस प्रकार चित्त के, निरोध के एवं एकाग्रता के परिणामों की चर्चा महर्षि ने की अब वे इस सूत्र के माध्यम से पांच महाभूत एवं इन्द्रियों के धर्म, लक्षण और अवस्था के विभाग के आधार पर उनके अलग अलग परिणाम के बारे में बता रहे हैं | यहाँ समझने वाली बात यह है कि इनके अलग अलग परिणाम को महर्षि कहते हैं कि स्वयं समझ लो|

अब प्रश्न उठता है कि किस प्रकार स्वयं से समझे तो महर्षि कहते हैं कि जैसे मैंने निरोध परिणाम,चित्त का परिणाम और एकाग्रता का परिणाम समझाया है उसी के आधार पर आपको समझ लेना चाहिए |

मेरी दृष्टि में, महर्षि की इस बात के दो अर्थ निकालने चाहिए |

 

एक, कि योग मार्ग पर यदि हम केवल निरोध,चित्त और एकाग्रता के परिणाम को समझकर अपने योग मार्ग पर आगे बढ़ जाएँ तो भी अच्छा है और जो भूत एवं इन्द्रियों के धर्म,लक्षण और अवस्था विषयक परिणाम हैं उन्हें भौतिक ज्ञान  आधार पर अलग से समझ सकते हैं |

दूसरा, केवल समझ की दृष्टि से पूर्वोक्त वर्णन शैली के आधार पर आप स्वयं समझ लें क्योंकि इनकी व्याख्या से कुछ भी कुछ भी अवरुद्ध नहीं हो रहा है |

अब आईये समझते हैं कि पांच महाभूतों  एवं इन्द्रियों का धर्म,लक्षण और अवस्था परिणाम क्या होता है | तो सबसे पहले हम यहाँ प्रयुक्त हुए तीन शब्दों का यथार्त अर्थ समझ लेते हैं | धर्म का यहाँ अर्थ है गुण से और लक्षण का यहाँ अर्थ है उसमें बदलाव से और अवस्था का यहाँ अर्थ है स्थिति से | यहाँ ये तीनों शब्द इन्हीं अर्थों में प्रयुक्त हुए हैं  महर्षि कह रहे हैं कि पांच महाभूत हों या इन्द्रियां हों उनके गुणों के आधार पर, उनके लक्षणों के आधार पर एवं उनकी अलग अलग अवस्था के आधार पर परिणाम भी अलग अलग हो जाते हैं |

पांच महाभूत (पृथ्वी,जल, अग्नि, वायु और आकाश) के सबके अपने अपने अलग अलग गुण हैं जब इनमें कुछ बदलाव आता है तो इसे ही महाभूतों का धर्म परिणाम कहा गया है और ये सबके गुणों के आधार पर भौतिक परिवर्तन के रूप में तो अलग होगा लेकिन प्रक्रिया या होने का ढंग एक जैसा रहेगा | इसी प्रकार इन्द्रियों के गुणों में भौतिक परिवर्तन अलग दिखाई देगा लेकिन प्रक्रिया या होने का ढंग एक जैसा ही रहेगा |

इसी प्रकार  महाभूतों एवं इन्द्रियों में लक्षण और अवस्था को लेकर भी समझ लेना चाहिए

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: एतेन भूतेन्द्रियेषु धर्मलक्षणावस्थापरिणामा व्याख्याताः

 

परिणामों की भी एक व्यवस्था है

उनका नाम धर्म, लक्षण और अवस्था है

कोई भी वस्तु इन तीन चरणों से गुजरती

इन चरणों से बनती, बिगड़ती और संवरती

पांच महाभूत और पांच इंद्रियां कही हैं

तीन परिणामों से होकर ये भी बही हैं

जैसे चित्त के परिणाम कहे हैं

वैसे ही इनके भी परिणाम कहे हैं

One thought on “3.13”

  1. Kanta Prasad Sinha says:

    Kim Plofker, a noted expert of ancient mathematics in India recorded the Yoga sutra 3-13 stating ” Just as a line the hundreds place a hundred, in the tens a ten and one in open place, so one and the same woman is called mother, daughter, sister.
    I do not find that. Can u clarify. Regards

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