Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.34 ||

हृदये चित्तसंवित् 


पदच्छेद: हृदये, चित्त-संवित् ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • हृदये -हृदय या दिल में संयम (धारणा-ध्यान-समाधि) करने से
  • चित्त -चित्त का
  • संवित् -ठीक ठीक ज्ञान होता है

English

  • hridaye - heart
  • chitta - mind
  • sanvit - knowledge.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: हृदय चक्र अर्थात हृदय प्रदेश में संयम करने से योगी अपने चित्त के स्वरूप को ठीक ठीक जान लेता है ।

Sanskrit: 

English: By making samayama on the heart, knowledge of the mind is acquired.

French: 

German: Samyama ( Versenkung) in das Herz bringt genaues Wissen über das Citta ( das meinende Selbst).



Audio

Yog Sutra 3.34

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
  • English
  • Sanskrit
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  • German
  • Yog Kavya

हृदये चित्तसंवित् ॥ ३.३४॥

ह्रदय में संयम करने से योगी को चित्त का ठीक ठीक स्वरुप पता चल जाता है | ह्रदय शरीर का एक ऐसा अंग है जो लगातार गतिशील रहता है और चित्त भी एक ऐसा उपकरण है जिसमें अधिकतर विचारों का उठना गिरना लगा रहता है |

योगी जब चित्त के आधार स्वरुप ह्रदय को अपने संयम का विषय बना लेता है तब चित्त का स्वरुप है वह धीरे धीरे खुलने लग जाता है |

जैसे चित्त में विचार तरंगे कैसे उठती हैं? चित्त में भाव कैसे उठते हैं? चित्त प्रशांत कैसे होता है ? चित्त में प्रवृति कैसे बनती है ? ऐसे अनेक पहलूँ हैं चित्त  जिसका अनुभव योगी को हो जाता है और वह उसके आधार पर अपनी साधना को आगे बढ़ाता है क्योंकि  करने और उसके प्रतिक्रया करने के ढंग को समझने लग जाता है |

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