क्यों बन गया है मनुष्य आलसी? Why human is becoming Lazy?

मनुष्य आलसी क्यों बन गया?

यह एक बहुत बड़ा प्रश्न आज मानवता के सामने खड़ा है और इसी एक प्रश्न ने सारे उत्तर अवरोधित किये हुए हैं।

किसी भी प्रकार की प्रगति के लिए पुरुषार्थ आवश्यक होता है अतः आज यदि समाज, व्यक्ति और विश्व की दुर्गति हुई पड़ी है तो उसका कारण आलस्य भी है, क्योंकि सम्यक पुरुषार्थ की कमी के कारण पूरी मानवता एक एक रास्ते पर न होकर मनमौजी रास्ते पर चल रही है।


कहीं तो आलस्य ने मन को बांध रखा है, कहीं आलस्य ने तन को बांध रखा है, स्थिति यह है कि बहुतों के आत्मा तक भी इसने जाल बिछाए हैं। जब तक तन, मन और आत्मा पर कसा और जड़ा यह आलस्य का पर्दा नहीं हटेगा मानवता के लिए अच्छे परिणाम असंभव हैं।

आप बुद्धि से समझदार हो सकते हैं, हृदय से भावपूर्ण भी हो सकते हैं लेकिन यदि आप शरीर से कर्मशील नहीं होते हैं तो सबकुछ व्यर्थ है। एक झांसा है समझदार होने का और भावपूर्ण होने का। क्योंकि बिना कर्मशील हुए आप केवल अपने लिए समझदार और भावपूर्ण हैं न कि भगवान की बनाई इस सृष्टि के लिए। आपकी अभिव्यक्ति शून्य है। आप मात्र एक गिनती है इस दुनिया में।

 

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