Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.16 ||

परिणामत्रयसंयमाद् अतीतानागतज्ञानम् 


पदच्छेद: परिणाम, त्रय, संयमाद् , अतीत-अनागत-ज्ञानम् ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • परिणामत्रय-किसी भी पदार्थ के तीनों परिणाम (धर्म, लक्षण व अवस्था) में
  • संयमात् - संयम (धारणा-ध्यान-समाधि) करने से
  • अतीत-पदार्थ के भूत
  • अनागत-भविष्य काल का
  • ज्ञानम् -ज्ञान हो जाता है ।

English

  • parinama - changes , mutation
  • traya - three
  • sanyamat - samyama
  • atita - past
  • anagata - future
  • jnanam - knowledge.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: किसी भी पदार्थ के तीनों परिणाम (धर्म, लक्षण व अवस्था) में संयम (धारणा-ध्यान-समाधि) करने से उस पदार्थ के भूत एवं भविष्य काल का ज्ञान हो जाता है

Sanskrit: 

English: By making samyama on the three kinds of parinamas(changes) comes the knowledge of past and future.

French: 

 

German: Samyama ( Versenkung) in die drei Arten von Parināma ( Verwandlung) führt zu Wissen über die Vergangenheit und die Zukunft.


 

Audio

Yog Sutra 3.16

Explanation/Sutr Vyakhya

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  • Yog Kavya

विभूतिपाद में जो विभूति शब्द आया है उसका अर्थ होता है शक्तियां | जिसके आधार पर तीसरे पाद को विभूतिपाद कहा जाता है उन विभूतिओं का अब वर्णन प्रारम्भ हो जाता है | इससे पूर्व के सभी सूत्रों में उन सभी आवश्यक शब्दों की परिभाषाएं और व्याख्याएं पूरी हो चुकी हैं और  शिष्यों के सभी शंकाओं, प्रश्नों का उत्तर भी महर्षि दे चुके हैं तो अब क्रमश मिलने वाली शक्तियों का वर्णन कर रहे हैं |

विभूति के क्रम में सबसे पहले शक्ति या विभूति है किसी भी पदार्थ के भूतकाल एवं भविष्य काल के बारे में योग साधक को पता चल जाना | यह सिद्धि कैसे सिद्धि कैसे मिलती है और इसका पूरा मैकेनिज़्म क्या होता , इसके विषय में सूत्र एवं सारगर्भित रूप में महर्षि बता रहे हैं |

इस सूत्र को समझने से पूर्व इसमें आये दो शब्दों को ठीक से पुनः समझ लेते हैं | पहला शब्द हैं “संयम” जो कि इसी विभूति पाद के चौथे सूत्र में आया है और वहां पर महर्षि ने इसकी सम्पूर्ण व्याख्या की हुई है | धारणा,ध्यान और समाधि इन तीनों का नाम संयम है | इन तीनों का एकसाथ, एकसमय पर जब प्रयोग करना होगा तो महर्षि उसे संयम नाम दे देते हैं जिससे सूत्र का स्वरुप भी छोटा हो जाये और बात समझ में भी आ जाये |

दूसरा शब्द है परिणाम | परिणाम शब्द से किसी भी पदार्थ का धर्म-लक्षण-और अवस्था परिणाम समझना है | इसको ठीक से समझने के लिए विभूतिपाद के  १३ सूत्र की व्याख्या एक बार और  समझ लें जिससे आपको संयम और परिणाम ये दो शब्द ठीक से समझ में आ जाये और आप साधना की दृष्टि से समझकर आगे बढ़ सकें | संयम शब्द को ठीक से समझना इसलिए भी आवश्यक है ताकि आगे के सूत्रों में जब महर्षि शरीरस्थ अलग अलग अंगों में संयम करने की बात करेंगे तो आप उस अंग विशेष में अथवा बाह्य पदार्थों में संयम का अर्थ धारणा,ध्यान और समाधि लगा सकें |

जब विषय बुद्धि की दृष्टि से या समझने की दृष्टि से स्पष्ट हो जाता है तभी वह ठीक से क्रिया रूप में परिवर्तित हो पाती है | प्रस्तुत सूत्र में महर्षि कह रहे हैं कि किसी भी पदार्थ के धर्म-लक्षण एवं अवस्था के ऊपर एक साथ धारणा,ध्यान और समाधि का अभ्यास करने से अथवा संयम करने से उस पदार्थ का भूतकाल और भविष्य काल का ज्ञान हो जाता है | इस प्रकार योग का अभ्यास करने से साधक को किसी भी पदार्थ के पिछले और आगे के बारे में सबकुछ पता चल जाता है | इस प्रकार की विभूति योगी को प्राप्त हो जाती है |

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सूत्र: परिणामत्रयसंयमाद् अतीतानागतज्ञानम्

 

जब सब सैद्धांतिक परिचर्चा बीती

तब विभूति नाम से जो होती प्रतीति

उस प्रतीति की विशद व्याख्या अब करते

एक एक सिद्धि की समाख्या अब करते

तीन परिणाम जो पहले हैं बतलाए

धर्म, लक्षण और अवस्था कहलाए

इनपर जब संयम गहरा होता

ध्यान, धारणा, समाधि का पहरा होता

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