सूर्य में संयम करने से जिस प्रकार 14 भुवनों की जानकारी योगी को हो जाती है उसी प्रकार अगले सूत्र में महर्षि कहते हैं कि यदि योगी चंद्रमा पर धारना -ध्यान और समाधि का एकत्रित अभ्यास करें तो इससे ब्रह्मांड में स्थित जितने भी तारे या उनका जो समूह है उसकी स्थिति के बारे में योगी सम्यक रूप से ज्ञान हो जाता है |
इस प्रकार विभूति पाद में शरीस्थ एवं शरीर से बाहर ब्रह्मांड में भी अलग-अलग पदार्थों के ऊपर संयम करने से अलग-अलग प्रकार की सिद्धि का वर्णन किया गया है |