ततोऽणिमादिप्रादुर्भावः कायसम्पत्तद्धर्मानभिघातश्च ॥ ३.४५॥
योगी के द्वारा पञ्च महाभूतों पर संयम करने से जब महाभूत जीत लिए जाते हैं अर्थात उनपर वशता आ जाती है तो योगी को अणिमा आदि अष्ट सिद्धियाँ सहित विशेष शारीरिक सामर्थ्य प्राप्त हो जाती है | इसके साथ साथ पञ्च महाभूत योगी को किसी भी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचाते हैं | क्योंकि जिसे वश में कर लिया जाता है वह फिर कभी अनिष्ट नहीं करता है |
ये अणिमा आदि अष्ट सिद्धियाँ कौन कौन सी होती हैं आईये इन्हें समझते हैं-
१.अणिमा
२.लघिमा
३.महिमा
४. प्राप्ति
५. प्राकाम्य
६. वशित्व
७.ईशित्व
८.यत्रकामावसायित्व
जब हम हनुमान चालीसा पढ़ते हैं तो उसमें एक वाक्य आता है-अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता | उन्हें अष्ट सिद्धि की प्राप्ति योगी को महाभूतों पर विजय के बाद मिलती है | इसके साथ ही शरीर एक विशेष सामर्थ्य से युक्त हो जाता है, वह विशेष सामर्थ्य क्या होता है इस बात को महर्षि अगले सूत्र में विस्तार से बताएँगे तो उसकी चर्चा वहां अलग से करेंगे | जब योगी की महाभूतों के ऊपर वशता हो जाती है तो फिर महाभूतों की ओर से उसे किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है|