Chapter 3 : Vibhooti Pada
|| 3.45 ||

ततोऽणिमादिप्रादुर्भावः कायसम्पत्तद्धर्मानभिघातश्च 


पदच्छेद: तत:,अणिमादि-प्रादुर्भाव:, काय-सम्पत्,तद् -धर्म ,अनभिघात:, च ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • तत:-पञ्च भूतों पर विजय प्राप्त करने पर
  • अणिमादि-अणिमा आदि अष्ट सिद्धियाँ
  • प्रादुर्भाव:-उत्पन्न होती हैं
  • काय-शरीर
  • सम्पत् -विशेष सामर्थ्य युक्त होता है
  • च-और
  • तद्-धर्म -तब पञ्च भूतों के धर्मों से
  • अनभिघात:-योगी को किसी प्रकार से बाधा नहीं होती है

English

  •  tatah - thence
  •  anima - making miniature
  •  adi - and other
  •  pradurbhavah - manifestation
  •  kaya - body
  •  sampat - perfection
  •  tad - their
  •  dharma - characteristics
  •  anabhighata - non-obstruction
  •  cha - and.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: पञ्च भूतों पर विजय प्राप्त करने के बाद योगी को अणिमा आदि अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है ।और शरीर का विशेष सामर्थ्य बढ़ता है और साथ ही पृथ्वी आदि पञ्च भूतों के धर्म योगी को किसी भी प्रकार से बाधा नहीं पहुंचाते हैं ।

Sanskrit:

English: Thence one gains minuteness, and the rest of the powers,"glorification of the body," and indestructibleness of the bodily qualities.

French:

German: Ferner entstehen die acht großen Fähigkeiten. Der Körper erlangt Vollkommenheit und sein natürlicher Verfall wird keine Störung mehr sein.

Audio

Yog Sutra 3.45

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
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  • Sanskrit
  • French
  • German
  • Yog Kavya

ततोऽणिमादिप्रादुर्भावः कायसम्पत्तद्धर्मानभिघातश्च ॥ ३.४५॥

 

योगी के द्वारा पञ्च महाभूतों पर संयम करने से जब महाभूत जीत लिए जाते हैं अर्थात उनपर वशता आ जाती है तो योगी को अणिमा आदि अष्ट सिद्धियाँ सहित विशेष शारीरिक सामर्थ्य प्राप्त हो जाती है | इसके साथ साथ पञ्च महाभूत योगी को किसी भी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचाते हैं |  क्योंकि जिसे वश में कर लिया जाता है वह फिर कभी अनिष्ट नहीं करता है  |

ये अणिमा आदि अष्ट सिद्धियाँ कौन कौन सी होती हैं आईये इन्हें समझते हैं-

१.अणिमा

२.लघिमा

३.महिमा

४. प्राप्ति

५. प्राकाम्य

६. वशित्व

७.ईशित्व

८.यत्रकामावसायित्व

जब हम हनुमान चालीसा पढ़ते हैं तो उसमें एक वाक्य आता है-अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता | उन्हें अष्ट सिद्धि की प्राप्ति योगी को महाभूतों पर विजय के बाद मिलती है | इसके साथ ही शरीर एक विशेष सामर्थ्य से युक्त हो जाता है, वह विशेष सामर्थ्य क्या होता है इस बात को महर्षि अगले सूत्र में विस्तार से बताएँगे तो उसकी चर्चा वहां अलग से करेंगे  | जब योगी की महाभूतों के ऊपर वशता हो जाती है तो फिर महाभूतों की ओर से उसे किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है|

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