नियमों में प्रथम नियम (शौच) अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है । पूर्व सूत्र में शौच के फल के रूप में स्वयं एवं दूसरों के शरीर के अंगो से एक हटने का भाव पैदा होना बताया गया है, लेकिन इसका केवल इतना ही लाभ नहीं है । महर्षि इसके विशेष लाभों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि- शौच से बाहरी और आन्तरिक शुद्धि होने के बाद योगी की बुद्धि में सत्त्व गुण बढ़ जाता है, जिससे उसके मन को सुख मिलता है । गीता सहित बहुत से शास्त्रों में बताया है कि सत्त्व का फल “ सुख” होता है । इस प्रकार मन को सुख मिलता है और उसकी प्रसन्नता बनी रहती है । मन की प्रसन्नता से योगी के भीतर एकाग्रता निर्मित होती है जिसके कारण वह अपने सभी १० इन्द्रियों पर अच्छी प्रकार से नियन्त्रण स्थापित करने में सफल हो जाता है । जैसे ही किसी भी योगी के अपने इन्द्रियों पर वशीकरण होना प्रारंभ होता है तो यह पहला लक्षण है कि अब वह अपने स्वरुप को पाने की योग्यता पा जाता है । योगी के लिए इस प्रकार आत्म साक्षात्कार पाने की योग्यता पाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है ।
एक बात ध्यान देने योग्य है कि जब मन प्रसन्न होता है तभी हमारी एकाग्रता बनती है। अतः यह निश्चित है कि एकाग्रता प्रसन्न मन का परिणाम है । प्रसन्न मन से अप जिस भी कार्य में लगेंगे तो उस विषय में आपकी एकाग्रता बढ़ेगी । अतः आपको जिस विषय में एकाग्रता बढ़ानी है तो आपको उस विषय से अपने मन की प्रसन्नता को जोड़ना पड़ेगा या प्रसन्न मन से उस विषय में काम करना होगा । दोनों ही तरीके से आपकी एकाग्रता बढ़ सकती है । इस प्रकार शरीर की बाहर और भीतर दोनों की शुचिता रखने से आपको निम्न प्रकार से लाभ होंगे-
१.स्वयं के शरीर के प्रति राग ख़त्म हो जायेगा
२.दूसरों के शरीर (विपरीत) के अंगों के प्रति भी राग समाप्त हो जायेगा
३.बुद्धि में सत्त्व गुण बढ़ जायेगा
४.अच्छे-बुरे में भेद करने की शक्ति निर्मल हो जाएगी
५.मन की प्रसन्नता मिलने लग जाएगी
६.एकाग्रता की प्राप्ति होगी
७.इन्द्रियों के ऊपर नियन्त्रण होने लग जायेगा
८.आत्म-साक्षात्कार की योग्यता प्राप्त हो जाएगी
सूत्र: सत्त्वशुद्धिसौमनस्यैकाग्र्येन्द्रियजयात्मदर्शनयोग्यत्वानि च
शौच से बुद्धि शुद्धि को पाती
ठीक ठीक वस्तु का स्वरूप दिखाती
मन की तब प्रसन्नता को पाकर
स्वयं के भीतर संतोष समाकर
इंद्रियों में नियंत्रण कर लेता है
विषयों से ताप को हर लेता है
आत्म तत्त्व को जानने की
शक्ति परमात्मा को पहचानने की
शक्ति क्षमता को पा लेता है
प्रभु नाम के गुण गा लेता है।