Chapter 2 : Sadhana Pada
|| 2.3 ||

अविद्यास्मितारागद्वेषाभिनिवेशाः क्लेशाः


पदच्छेद: अविद्या , अस्मिता , राग , द्वेष , अभिनिवेशाः , क्लेशाः॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • अविद्या - अविद्या,
  • अस्मिता - अस्मिता (अहंकार),
  • राग - राग,
  • द्वेष - द्वेष (और)
  • अभिनिवेशाः - अभिनिवेश (जीवन के प्रति ममता - ये पाँचों)
  • क्लेशाः - क्लेश हैं ।

English

  • avidya - ignorance
  • asmita - egoism
  • raga - attachment
  • dvesha - aversion
  • abhiniveshah - clinging to life
  • kleshaah - cause of suffering.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: अविद्या, अस्मिता (अहंकार), राग, द्वेष और अभिनिवेश (जीवन के प्रति ममता) - ये पाँचों क्लेश हैं।

Sanskrit: 

English: Ignorance, egoism, attachment, aversion and clinging to life - are the five Klesas.

French: L’ignorance, l’égoïsme, l’attachement, l’aversion et l’attachement à la vie sont les cinq Klesa.

German: Die Kleśas ( die störenden Kräfte ) sind Avidyā, die Verwechslung, Asmitā, die Selbstbezogenheit, Rāga, die blinde Zuneigung, Dvesa, die blinde Abneigung, und Abhiniveśa, die unbegründete Angst.

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Yog Sutra 2.3
Explanation 2.3
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Explanation/Sutr Vyakhya

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  • Yog Kavya

पूर्व के सूत्र में एक नया शब्द आया क्लेश अतः स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठना था कि अब ये क्लेश क्या हैं और इनकी संख्या कितनी है।

 

महर्षि उक्त जिज्ञासा के उत्तर में सभी पञ्च क्लेशों के नाम गिनाते हैं।

ये हैं-

 

अविद्या

अस्मिता

राग

द्वेष

और अभिनिवेश

 

क्लेशों से महर्षि का क्या आशय है, इस बात समझाने के लिए महर्षि व्यास जी अपने योग दर्शन के भाष्य में कहते हैं कि ये पांच क्लेश पांच प्रकार के मिथ्याज्ञान हैं। अविद्या आदि ये पांच क्लेश व्यक्ति की अधर्म प्रवृति को बढ़ा देते हैं और इस प्रकार प्रवृति को कार्य रूप में। परिणित कर देते हैं।

अंततः व्यक्ति जन्म जन्मांतर कर्म फल के चक्रव्यूह में फंसता चले जाता है। जब तक प्रत्येक प्रवृति या कर्म के मूल में ये पांच कर्म होंगे मनुष्य बंधन से मुक्त नहीं हो सकता है।

 

जब तक अविद्या आदि क्लेश मूल में है किसी भी कर्म के व्यक्ति धर्माचरण से युक्त नहीं हो सकता है। समाधि की सिद्धि नहीं हो सकती है। साधक अपने सच्चे स्वरूप में स्थिति को प्राप्त नहीं कर सकता है।

 

अतः इस सूत्र में महर्षि ने संकेत रूप में पांच क्लेशों के केवल नाम यहां गिनाए हैं। आगे के सूत्रों में विस्तृत रूप से इन पांच क्लेशों के स्वरूप एवं उनके कार्यों के ऊपर बात की गई है।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: अविद्यास्मितारागद्वेषाभिनिवेशाः क्लेशाः

 

अविद्या, अस्मिता और राग द्वेष

पांच क्लेशों में अंतिम “अभिनिवेश”

क्लेश सभी ये जीवन उलझाते हैं

निर्बल कर इन्हें क्रियायोग से

आओ जीवन सुलझाते हैं।

 

पांच प्रकार के मिथ्याज्ञान हैं ये

मानव को करते परेशान हैं ये

इन क्लेशों से योगी को लड़ना है

निरंतर योग पथ पर आगे बढ़ना है

जब योगी गतिमान है होता

निज पथ पर अभिमान है खोता

धीरे धीरे कैवल्य की ओर

वही होती जीवन की पहली भोर

2 thoughts on “2.3”

  1. vaishnav says:

    पंच लिखना भूल गए है जी

    1. admin says:

      Dhanyvad vishnu ji.. ise thik kar liya jayega

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