Chapter 2 : Sadhana Pada
|| 2.33 ||

वितर्कबाधने प्रतिपक्षभावनम्


पदच्छेद: वितर्क , बाधने , प्रतिपक्ष , भावनम् ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • वितर्क - वितर्क (यम और नियमों के हिंसादि के भाव)
  • बाधने - (यम-नियम के पालन में) बाधा पहुँचावें तब
  • प्रतिपक्ष - उनके प्रतिपक्षी (विचारों का बारंबार)
  • भावनम् - चिन्तन (करना चाहिए) ।

English

  • vitarka - negative thoughts
  • badhane - inhibited by
  • pratipaksha - to the contrary
  • bhavanam - cultivate

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: वितर्क यम और नियमों के हिंसादि के भाव यम-नियम के पालन में बाधा पहुँचावें तब उनके प्रतिपक्षी विचारों का बारंबार चिन्तन करना चाहिए ।

Sanskrit: 

English: To obstruct thoughts which are inimical to Yoga contrary thoughts should be cultivated.

French: 

German: Unsicherheit in Bezug auf die Umsetzung der Verhaltensregeln von Yama ( den Disziplinen im zwischenmenschlichen Verhalten) oder Niyama ( den Regeln des Alltagsverhaltens ) lässt sich durch Bhāvana ( die intensive Einstellung ) auf das Gegenteil von dem, was wir für richtig halten, lösen ( Bhāvana auf die Gegenposition ).

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Yog Sutra 2.33
Explanation 2.33
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Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
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  • French
  • German
  • Yog Kavya

यम नियमों का पालन करते हुए पूर्व संचित बुरे संस्कारों के कारण बीच बीच में अनेक बढ़ाएं उत्पन्न होती रहेंगी । जब अहिंसा, सत्य आदि यमों का पालन कर रहे होंगे तो उनसे ठीक विपरीत भाव जागेंगे । तब उस स्थिति में कैसे हम विकारों या बुरे संस्कारों से बच सकते हैं, महर्षि उसके लिए साधना विशेष बता रहे हैं |

 

यम, नियमों के पालन करते समय इनसे विपरीत भाव या विचार आकर परेशान करते हैं तब ठीक उनसे विपरीत शुभ विचारों का चिंतन करना चाहिए । यम एवं नियमों का अनुष्ठान तो जागृत अवस्था में होता है तो यह जागृत अवस्था की साधना है । जैसे किसी के मन में हिंसा या झूठ बोलने की वृत्ति आ जाये तब उसी समय अहिंसा एवं सत्य रूपी यम एवं उनके फल का चिंतन कर चित्त को शांत करने का प्रयास करना चाहिए । इसी प्रकार से अन्य भावों के लिए भी समझ लेना चाहिए ।

 

यदि साधक क्रिया योग पूर्वक अष्टांग योग में प्रवेश करेगा तो इस प्रकार के बाधाओं को बहुत अधिक सीमा तक कम कर सकता है । फिर भी कुछ अंशों में यम-नियमों के पालन में बाधाएं आएँगी तब दृढ मन से हिंसा के विपरीत दया का भाव, असत्य के विपरीत सत्य बोलने के भाव, चोरी करने के विपरीत अचौर्य का भाव, कामुकता या वासना के बदले इन्द्रियों का संयम या ब्रह्मचर्य, संग्रह की भावना के बदले पूर्ण पुरुषार्थ कर जो कुछ अर्जन किया है, उसमें से अपने जीवन निर्वहन के लिए निकाल कर अन्यों को प्रसाद रूप में वितरण कर देना ही प्रतिपक्ष भावना रूपी साधना है ।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: वितर्कबाधने प्रतिपक्षभावनम्

 

जब यम नियमों के पालन में

कष्ट अनुभव करो यदि संचालन में

बाधा रूप में जो कुछ आये

प्रतिपक्ष भावना से दूर हटाएं

जिस भाव की वह बाधा होगी

तुम्हें गिराने पर आमादा होगी

विपरीत शुभ भावों के चिंतन से

योग स्वाध्याय के मंथन से 

क्लेश रूप बाधाएं हट जाएंगी

काली घटाएं सब छंट जाएंगी

उजले योग के प्रकाश में 

साफ सुथरे जीवन के आकाश में

मुक्त-युक्त होकर विचरण करना

संकल्प युक्त आचरण भरना

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