प्रस्तुत सूत्र में महर्षि सत्य सिद्धि का फल बताते हैं । जब साधक-योगी पूर्ण रूप से सत्य में प्रतिष्ठित हो जाता है तब वह जो कुछ कहता है वह धरातल पर सत्य रूप में घटित हो जाता है । व्यास भाष्य में कहा है कि जब योगी कि वाणी सिद्ध हो जाती है अर्थात योगी जब सत्य में पूर्ण रूप से बरतता है तो वह जिसे कहे “धार्मिक हो जाओ” तो वह धार्मिक हो जाता है, जिसे कहे कि तुम “स्वर्ग को प्राप्त करो ” तो वह सचमुच स्वर्ग की प्राप्ति कर लेता है ।
वाणी कैसे सिद्ध होती है या योगी कैसे सत्य में प्रतिष्ठित होता है ?- जैसे जैसे योगी के सभी क्लेश क्षीण होते जाते हैं इस प्रकार उसका चित्त निर्मलता को उत्तरोत्तर प्राप्त करता रहता है । ज्ञान के प्रकाश की लौ विवेक ख्याति तक जलती रहती है । पञ्च क्लेशों की जननी तो अविद्या है अतः जब अविद्या का नाश होता है और विद्या साथ साथ में घटित होती रहती है तब योगी को सबकुछ स्पष्ट दिखाई देने लग जाता है । एक ओर विद्या बढ़ती है तो दूसरी ओर राग और द्वेष भी क्षीण होते जाते हैं जिसके कारण वह योगी निष्पक्ष हो जाता है । एक निष्पक्ष व्यक्ति ही सत्य का अवलंबन ले सकता है । समाज में भी लोग उसी व्यक्ति की अधिक सुनते और मानते हैं जो पक्षपाती न हो अर्थात निष्पक्ष हो । इस प्रकार अविद्या का नाश किया हुआ, राग और द्वेष से रहित हुआ योगी फिर जो कुछ विवेकपूर्वक कहता है, वह सत्य रूप में घटित होने लगता है । वह केवल कहता नहीं है अपितु वह जो कुछ करता है वह भी फल को अवश्य प्राप्त होता है । उसकी समस्त क्रियाएं फल के आश्रित ही रहती हैं ।
ऐसे बहुत से उदहारण समाज में ही देखने को मिल जाते हैं कि निश्चल बच्चों के कहने पर कई लोगों का हृदय परिवर्तन हो जाता है, क्योंकि उनका कहा हुआ उनके हृदय को तत्क्षण निर्मल कर देता है । उनके मन में एक क्षण को भी यह भाव नहीं आता कि इस अबोध बालक का इस प्रकार उपदेश करने में स्वयं का क्या स्वार्थ हो सकता है । योगी भी बालक सदृश ही निर्मलता को प्राप्त कर जाते हैं और फिर वे जिसे जो कह दें वह सत्य रूप में घटित हो जाता है ।
सूत्र: सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम्
सत्य का निर्धारण बड़ा गूढ़ है
जो नहीं कर पाया वही मूढ़ है
जब मन वचन से सत्य का आचरण हैं करते
योगी सदा ही सत्य को धारण हैं करते
तब साफ सुथरे और निश्छल हो जाते हैं
योगी सत्य के फल को पाते हैं
निष्पाप हुआ वह जो कुछ कहता
तुरंत धरातल पर वह होकर रहता
पर शुभ संकल्पों को ही आधार बनाता
सत्य घटित होने के आसार बनाता
शक्ति स्वरूपा वाणी बन जाती है
जो कुछ कहती, सच हो जाती है
Can I get hard copy of Yogsutra? The as explained on this site. Please reply
we are working on it and soon you will get a hard copy of yog sutra, we will make it online to purchase. thanks