Chapter 2 : Sadhana Pada
|| 2.11 ||

॥ ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः


पदच्छेद: ध्यान , हेया: , तत् , वृत्तयः॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • वृत्तयः - वृत्तियाँ
  • ध्यान - ध्यान के द्वारा
  • हेया: - नष्ट करने योग्य हैं ।

English

  • dhyana - meditation
  • heya - destroyed, suppressed
  • tat - that
  • vrittayah - modifications.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: वृत्तियाँ ध्यान के द्वारा नष्ट करने योग्य हैं ।

Sanskrit: 

English: Their (gross) modifications are to be suppressed by meditation.

French: Leurs modifications (grossières) doivent être supprimées par la méditation.

German: Die Aktivität dieser triebhaften Kräfte lässt sich durch Dhyānam ( das stille Reflektieren) überwinden.

Audio

Yog Sutra 2.11
Explanation 2.11
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Explanation/Sutr Vyakhya

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  • Yog Kavya

जब क्लेशों को क्रियायोग के द्वारा निर्बल कर दिया जाता है अर्थात क्लेशों की स्थूल वृत्तियों को क्रियायोग से सूक्ष्म कर दिया जाता है तब ध्यान के द्वारा उन्हें दग्धबीज करने का प्रयास करना चाहिए।

 

जब क्लेश बड़े रूप में या उग्र रूप में प्रकट होते हैं तो इसे क्लेशों का स्थूल रूप कहा जाता है। इसे हटाने के लिए क्रियायोग का सहारा लिया जाता है। क्रियायोग से इन्हें केवल सूक्ष्म किया जा सकता है लेकिन इन्हें लगभग पूरी तरह खत्म करने के लिए साधक को विशेष प्रयत्न करना पड़ता है जिसे महर्षि ने ध्यान कहा है।

 

यहां ध्यान से महर्षि का अर्थ है विवेकख्याति । ध्यान से जैसे एकनिष्ठ ज्ञान उत्पन्न होता है उसी प्रकार मुझे अपने क्लेशों के सूक्ष्म रूप को समाप्त करना है इस प्रकार के एकनिष्ठ ज्ञान के प्रवाह से हटाने का बड़ा प्रयत्न करना चाहिए।

 

योग दर्शन एक व्यवस्थित शास्त्र है। यहाँ ठीक ठीक स्वरुप ज्ञान, निश्चित प्रक्रिया, निश्चित लक्ष्य, समस्या और समाधान की बात की जाती है। अतः यदि महर्षि यह कहते हैं कि सूक्ष्म क्लेश ध्यान या विवेकज्ञान के द्वारा हटाये जा सकते हैं तो यह 100% सत्य है। कोई भी साधक यदि ठीक ठीक साधना का आचरण करेगा तो निश्चित पायेगा कि योग सूत्रों में वर्णित विधियों से उसे कहे गए परिणाम मिलते ही हैं।

 

यह योग दर्शन आचरण का शास्त्र है, इसमें बिना आचरण के कोई गति नहीं है। इसलिए जो भी साधक योग सूत्रों को पढ़कर अपने जीवन में साधना करना चाहते हैं उन्हें निश्चित की गई विधियों को आचरण में लाना ही होगा।

 

जब क्रियायोग से हमारे क्लेश सूक्ष्म हो जाएंगे तब बार बार प्रत्येक कर्म, व्यवहार, चेष्टा में साधक को देखना चाहिए कहीं लेशमात्र इनमें क्लेश तो नहीं है। यदि है तो उससे दूर होने का प्रयास करते रहना चहिए। इस प्रकार जब निरंतर रूप से ज्ञान का प्रहार होता रहेगा तो एक दिन ऐसा आएगा जब आप पूर्ण रूप से क्लेशों के ऊपर नियंत्रण पा लेंगे।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः

 

क्लेश सूक्ष्म या तनु जब हो जाते

क्रियायोग से बलहीनता पाते

कैसे क्लेशों पर पूर्ण विराम लगेगा?

कैसे अशांत चित्त को आराम लगेगा?

सुनो महर्षि तब क्या कहते हैं

एक विश्वास नया भरते हैं

समग्र नाश तो ध्यान से होगा

वह सबकुछ भी जो अबतक भोगा

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