Chapter 2 : Sadhana Pada
|| 2.29 ||

यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि


पदच्छेद: यम , नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान , समाधय: , अष्टौ , अङ्गानि॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • यम - यम
  • नियम - नियम
  • आसन - आसन
  • प्राणायाम - प्राणायाम
  • प्रत्याहार - प्रत्याहार
  • धारणा - धारणा
  • ध्यान - ध्यान (और)
  • समाधय: - समाधि;
  • अष्टौ - (ये) आठ
  • अङ्गानि - (योग के) अंग हैं ।

English

  • yama - abstinence
  • niyama - observance
  • asana - posture
  • pranayama - breath control
  • pratyahara - sense withdrawal
  • dharana - concentration
  • dhyana - meditation
  • samadhay - meditation in its higher state
  • ashtava - eight
  • anggani - limbs, parts.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि; ये आठ योग के अंग हैं ।

Sanskrit: 

English: Yama, Niyama, Asana, Pranayama, Pratyahara, Dharana, Dhyana, Samadhi; are the eight limbs of Yoga.

French: 

German: Die acht Glieder sind: die Disziplinen im zwischenmenschlichen Verhalten, die Regeln des Alltagsverhaltens, Körperhaltung, Regulierung des Atems, Sinnesanbindung ans Innere, die anhaltende Ausrichtung der Gedanken, das stille Reflektieren und die vollkommene Erkenntnis.

Audio

Yog Sutra 2.29
Explanation 2.29
Requested file could not be found (error code 404). Verify the file URL specified in the shortcode.

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
  • English
  • Sanskrit
  • French
  • German
  • Yog Kavya

इस सूत्र के माध्यम से महर्षि अष्टांग योग की परिभाषा कर रहे हैं । मैं इसे योग सूत्रों की आत्मा कहता हूँ । यह सूत्र समस्त सूत्रों का केंद्र है । अष्टांग योग में जितने भी सूत्र आते हैं वे सभी योग दर्शन के नाभिकीय सूत्र हैं । यही वे सूत्र हैं जो साधना पथ का निर्धारण एवं समस्त ऐश्वर्य, विभूतियों को देने वाले हैं ।

 

आध्यात्मिक जगत के जितने भी ऐश्वर्य हो सकते हैं वे सब इसी अष्टांग योग के अनुष्टान से प्राप्त होते हैं ।

योग के आठ अंग हैं-

यम

नियम

आसन

प्राणायाम

प्रत्याहार

धारणा

 ध्यान

समाधि

इस प्रकार यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये योग के आठ अंग हैं ।

 

इस सूत्र में एक महत्त्वपूर्ण शब्द आया है-वह है अनुष्टान । अनुष्ठान शब्द का अर्थ होता है विशेष व्रताभ्यास । जिसे मन, वचन और कर्म की एकरूपता से सम्पन्न किया जाता है उसे अनुष्ठान कहते हैं । इसलिए सूत्र का अर्थ हुआ कि मन,वचन और कर्म से यम-नियमों आदि आठ अंगों के अनुष्ठान से सब प्रकार की मलिनता का नाश होकर विवेक ख्याति होने तक निरंतर ज्ञान का प्रकाश बढ़ता जाता है ।

 

अतः साधक को चाहिए कि क्रिया योग पूर्वक योग के इन आठ अंगो का व्रताभ्यास या अनुष्ठान करना चाहिए जिससे वह प्रकृति और पुरुष के बीच के संयोग को नष्ट कर अपने स्वरुप में स्थिति को प्राप्त कर सके । अपने सभी दुखों का अन्त कर शाश्वत प्रभु के आनंद में स्थित हो करे ।

 

आगे एक एक अंग को ठीक प्रकार से समझने का प्रयास करते चले जायेंगे ।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि

 

प्रथम तीन यम-नियम और आसन हैं

प्राणायाम-प्रत्याहार-धारणा सब साधन हैं

ध्यान-समाधि ये आठ अंग हैं

जिस साधक के ये अंग संग हैं

मानव से महामानव बन जाता है

सर्वोच्च लक्ष्य को पाता है

जीवन पथ पर सदा गतिमान वह

ऐश्वर्य युक्त और विभूतिवान वह

भूले बिसरे स्वरूप को पा जाता है

शरणागति के परम भाव में समा जाता है

2 thoughts on “2.29”

  1. hgf says:

    Thanks in support of sharing such a good idea, article is pleasant, thats why
    i have read it fully

  2. Nelson says:

    If you are going for most excellent contents like I do, just pay a visit this site all the time as it presents feature contents, thanks

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *