Chapter 1 : Samadhi Pada
|| 1.39 ||

यथाभिमतध्यानाद्वा 


पदच्छेद: यथा , अभिमत , ध्यानात् , वा ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • यथा - (जिसको) जो
  • अभिमत - अभिमत (हो, उसके)
  • ध्यानात् - ध्यान से;
  • वा - भी (मन स्थिर हो जाता है) ।

English

  • yatha - as
  • abhimata - like, desired
  • dhyanat - meditate on
  • va - or

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: जिसको जो अभिमत हो, उसके ध्यान से; भी मन स्थिर हो जाता है ।

Sanskrit: 

English: Or by meditation on whatsoever thing one may like (the mind becomes stable).

French: Ou par la méditation sur ce que l'on aime (l'esprit devient stable)

German: Oder durch Dhyānam ( das stille Reflektieren) über das, was unsere Zuneigung hat.

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Yog Sutra 1.39
Explanation 1.39
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Explanation/Sutr Vyakhya

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  • Yog Kavya

उपरोक्त कही गई विधियों में से जिसे जो विधि अपनी प्रकृति के अनुसार उचित लगती हो या समझ में आती हो, उसके अनुष्ठान या पालन से भी मन शांत एवं निर्मल हो हो जाता है।

इस सूत्र के दो प्रकार से अर्थ निकलते हैं।

एक, उपरोक्त विधियों में से कोई एक विधि

या उपरोक्त बताई गई विधियों के अतिरिक्त कोई अन्य विधि

मन को शांत, प्रशांत, निर्मल, विमल एवं स्थिर करने के लिए उस समय प्रचलित कुछ प्रमुख एवं मर्यादित साधनों एवं विधियों का अच्छी प्रकार से उल्लेख करने के बाद भी महर्षि ने यहां कहा है कि केवल 6 विधि ही नहीं है अपितु मन को शांत एवं निर्मल करने के और भी उपाय हो सकते हैं अतः जिसको जैसा अभिमत हो वह उन विधियों की सहायता से मन को शान्त कर सकता है अर्थात् वह अन्य सात्त्विक विधियों का अनुष्ठान कर सकता है।

हम सब ऋषि मुनियों की ही संतान है, वे ही हमारे पूर्वज और आदर्श हैं। उन्होंने प्रथम दृष्टि से जिन विधियों का उल्लेख मन की निर्मलता एवं उसकी स्थिरता के लिए सूत्र रूप में कह दिए हैं, हमें उन्हीं विधियों को अपने अभ्यास में लाना चाहिए; क्योंकि बहुत सारी विधियों में से स्वयं महर्षि ने श्रेष्ठ आलंबनों का चुनाव किया है।

मेरे मत के अनुसार, महर्षि ने यह सूत्र रचकर अन्य संभावित विधियों का निषेध नहीं किया है । प्रत्येक सूत्र में “यह नहीं तो इस विधि का उपयोग करें” ऐसा वे कहते आये हैं।

महर्षि के समय में बहुत सारी विधियां प्रचलित होंगी, उन विधियों में से जब कुछ प्रमुख विधियों को सूत्र रूप में कह दिया तो अन्य विधियों का कोई निषेध नहीं हो जाये इसलिए यह सूत्र कहा है ।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: यथाभिमतध्यानाद्वा

 

अंत में महर्षि ने एक सिद्धांत दिया है

जिसने भी जो कुछ शुभ उपाय किया है

वह उस विधि मन स्थिर कर पाएगा

मन में स्थिरता भर पायेगा

जिसको जैसा अभिमत है

ये उपाय- विधियां और बहुत हैं

ये तो बस कुछ साधनों की सूची है

यह सूची नहीं समूची है

2 thoughts on “1.39”

  1. SHOBHA BHAGIA says:

    Beautiful

    1. admin says:

      धन्यवाद शोभा जी।

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