Chapter 4 : Kaivalya Pada
|| 4.5 ||

प्रवृत्तिभेदे‌ ‌प्रयोजकं‌ ‌चित्तमेकमनेकेषाम्‌ ‌


पदच्छेद: प्रवृत्तिभेदे,प्रयोजकम् , चित्तम्-एकम्-अनेकेषाम् ॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • प्रवृत्तिभेदे- अलग-अलग क्रियाएं होने में
  • अनेकेषाम्- अनेक चित्तों के
  • प्रयोजकम्- संचालन अथवा चलाने वाला
  • चित्तम् - वह चित्त
  • एकम्- एक ही होता है

English

  • pravritti - activities
  • bhede - difference
  • prayojakam - directing
  • chittam - mind
  • ekam - one
  • anekesham - many.

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: योगी द्वारा निर्मित अनेक चित्तों में अलग-अलग क्रियाओं अथवा वृत्तियों का संचालन करने वाला वह चित्त एक ही होता है ।

Sanskrit: 

English: Though the activities of the different created minds are various, the one original mind controls them all.

French: 

German: Die Beeinflussungen entsprechen den Möglichkeiten, die die einzelnen beeinflussten Citta von ihrer Natur her haben.

Audio

Yog Sutra 4.5
Hindi Explanation
 

Explanation/Sutr Vyakhya

  • Hindi
  • English
  • Sanskrit
  • French
  • German
  • Yog Kavya

इससे पूर्व के सूत्र में चित्त का निर्माण अस्मिता नामक तत्त्व से होना बताया था। महर्षि ने उस सूत्र में चित्त के लिए चित्तानि शब्द का प्रयोग किया था। जिससे यह शंका उठी कि चित्त एक है या अनेक है। उसी शंका के निवारण के लिए एवं सिद्धांत स्थापित करने के लिए महर्षि यह सूत्र यहां कह रहे हैं।

चित्त में प्रवृति भेद होने के से यह अलग अलग विषयों में व्यापार अर्थात गमन करता है। इस प्रकार की गति का में संचालित होने वाला चित्त एक ही है।

चूंकि चित्त का निर्माण में अस्मिता कारण है लेकिन इसमें सत्त्व, रजस और तमस का प्रभाव रहता है। त्रिगुणों के परस्पर उदित और अस्त होने से एवं घुले मिले रहने से चित्त में अनेक प्रवृत्तियों का निर्माण भी होता रहता है।

इसलिए चित्त प्रवृति के अनुसार अलग अलग विषयों, विचारों एवं इच्छाओं में संचालित होता रहता है लेकिन यह सबकुछ होने के बाद भी वह चित्त एक ही है जैसे अलग अलग सोने के विभिन्न प्रकार के आभूषणों में स्वर्ण एक ही होता है।

इस प्रकार महर्षि ने पूर्व के सूत्र में आए हुए शंका का निवारण यह कह कर दिया कि वह चित्त एक प्रकार का ही होता है।

coming soon..
coming soon..
coming soon..
coming soon..

सूत्र: प्रवृत्तिभेदे‌ ‌प्रयोजकं‌ ‌चित्तमेकमनेकेषाम्‌

 

विषय अनंत पर चित्त एक है

व्यापार अनेक पर आधार एक है

सब विषयों का चित्त एक आधार है

चित्त अनेक हैं यह बात निराधार है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *