Chapter 4 : Kaivalya Pada
|| 4.21 ||

चित्तान्तरदृश्ये‌ ‌बुद्धिबुद्धेरतिप्रसङ्गः‌ ‌स्मृतिसङ्करश्च‌ ‌


पदच्छेद: ‌चित्तान्तर-दृश्ये, बुद्धिबुद्धे:,अतिप्रसङ्ग:,स्मृति,संकर:, च ‌॥


शब्दार्थ / Word Meaning

Hindi

  • चित्तान्तर- एक चित्त का दूसरे चित्त से
  • दृश्ये‌ - ज्ञान होना मानने पर
  • बुद्धिबुद्धे:- एक चित्त के द्वारा दुसरे चित्त का ज्ञान
  • अतिप्रसङ्ग: -अनवस्था नामक दोष उत्पन्न होगा
  • च - और
  • स्मृति- स्मृतियों के परस्पर
  • संकर:- घुल मिल जाने का भी दोष उत्पन्न होगा

सूत्रार्थ / Sutra Meaning

Hindi: एक चित्त का दूसरे चित्त से ज्ञान हो जायेगा ऐसा मानने पर दूसरी बुद्धि के कारण उसमें अनवस्था दोष उत्पन्न होता है । तथा सभी स्मृतियों के परस्पर घुल मिल जाने का दोष उत्पन्न हो जायेगा ।

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Yog Sutra 4.21

Explanation/Sutr Vyakhya

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चित्त और चित्त की भूमिका एवं उसके कार्य को लेकर महर्षि अलग अलग दृष्टिकोण से स्पष्टता कर रहे हैं। जब महर्षि पतंजलि योग सूत्र लिख रहे थे उस समय चित्त को ही दृष्टा समझने का प्रयास चल रहा था। समाज का एक वर्ग चित्त से ऊपर चेतन की सत्ता को स्वीकार नहीं रहा था इसलिए विभिन्न दृष्टिकोणों से चित्त के सही स्वरूप को स्थापित करने के लिए महर्षि बात कर रहे हैं। जिससे ठीक प्रकार से चेतन तत्त्व की स्वीकार्यता सिद्ध हो पाए।

 

महर्षि कहते हैं यदि मान लिया जाए कि एक चित्त को दूसरे चित्त को देखता है तब तो किस ज्ञान का दृष्टा कौन सा चित्त होगा इसका निर्धारण असंभव हो जायेगा क्योंकि प्रतिपाल चित्त बदलते जायेगा।

 

और यह क्रम फिर रुकने वाला भी नहीं होगा तो यहां अनवस्था दोष उत्पन्न हो जायेगा। यह एक ऐसी अव्यवस्था निर्मित हो जायेगी जो किसी भी दृष्टि से न तो उचित लगती है और न ही संभव ही है।

 

दूसरा, जिस चित्त को ज्ञान हो रहा है वह तो अगले ही क्षण खत्म हो जाता है फिर स्मृति कैसे बनी रहेगी? एक ही वस्तु के विषय में अनेक चित्त ज्ञान करने लगेंगे फिर इस वस्तु का ठीक ज्ञान कैसे प्राप्त कर पाएंगे? फिर किसी एक वस्तु का ज्ञान किसी एक को कैसे हो पायेगा?

 

ऐसे बहुत सारे प्रश्न और दोष इस सिद्धांत में उपस्थित होने लग जाएंगे तो यह मानना कि एक चित्त दूसरे चित्त का ज्ञान कर लेगा यह उचित भी नहीं है और संभव भी नहीं है।

 

अतः महर्षि सब प्रकार के संभावनाओं के ऊपर चर्चा करते हुए चित्त से ऊपर चेतन की सत्ता को मानने की बात कह रहे हैं।

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