Patanjali Yog Sutra

महर्षि पतंजलि प्रणीत योग दर्शन भारतीय 6 दर्शनों में से एक प्रमुख दर्शन है । योग के संपूर्ण वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक पक्ष को सूत्रकार ने 4 पादों में समाहित किया है।

1.समाधिपाद 2.साधनपाद 3.विभूतिपाद एवं 4.कैवल्यपाद

योग दर्शन को पूरे विश्व में पतंजलि योग सूत्र के नाम से भी जाना जाता है, और पूरे विश्व में योग के विषय में यह एकमात्र प्रामाणिक ग्रंथ है। Read More

Chapter 1 : Samadhi Pada

समाधि पाद: पतंजलि योग सूत्र के चार पादों में पहला पाद है समाधिपाद। इस प्रथम पाद में मुख्य रूप से समाधि तथा उसके विभिन्न भेदों का वर्णन किया गया है। Read More

Chapter 2 : Sadhana Pada

साधनपाद: इस द्वितीय पाद में प्रारंभिक साधक के लिए योग के साधनों का वर्णन किया गया है अर्थात वे उपाय जिनसे योग मार्ग प्रशस्त होता है। अतः इसका नाम साधन पाद है। Read More

Chapter 3 : Vibhooti Pada

विभूति पाद: योग साधनों के श्रद्धापूर्वक किये गए अनुष्ठान से प्राप्त होने वाली विविध प्रकार की सिद्धियों अर्थात विभूतियों का वर्णन इस तृतीय पाद में मुख्य रूप से किया गया है इसी कारण इस पाद का नाम विभूति पाद है। Read More

Chapter 4 : Kaivalya Pada

जब साधक साधन चतुष्ट्य की साधना कर चुका होता है अर्थात ग्रंथ को समझने के लिए आवश्यक प्रवृत्ति विशेष धारण कर चुका होता है ‘तब’ योग के अनुशासन को प्रारम्भ करते हैं। Read More